दुनिया के रीति रिवाज भी
बहुत अजीब है
जो जहाँ से सोचे
वो वहीँ से शुरू है
जिसमें किसी की कदर ना हों
भले
पर फिर भी
इंसानियत के नाम पर सब
दिवाने जरूर है
मद्द की फरमाइश लायें भले
कोई भी
पर जीतता तो वही है
जो पैसों के दिवाने है
अपनी कहानी से आज
सब डर रहें है
पर फिर भी सामने मुस्कुराए खड़े है
सभी
खेलों के भी दिवाने है
पर
खेल खेलता वो ही है
जो अपनों से बेगाने है
पागल तो सब कहते है
एक दूसरें को
पर खुद ना समझतें
किसी बात को
पहाड़ चढ़ना है, आसान
पर
हिम्मत देना हें मुश्किल
फर्ज़ कोई निभायें ना
भले पर
दोषी है सभी
तभी तो,
दुनिया के रीति रिवाज
मुश्किल से है, समझने को !!!
मुश्किल से है, समझने को !!!