संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने मंगलवार को राजकीय भवनों के शिलान्यास एवं उद्घाटन कार्यक्रमों व अन्य राजकीय कार्यक्रमों में जनप्रतिनिधियों को आवश्यक रूप से आमंत्रित करने के संबंध में जारी परिपत्र की पूर्णतया पालना की जायेगी।
धारीवाल शून्य काल में इस संबंध में अध्यक्षीय व्यवस्था के बाद अपने जवाब में बताया कि गत 17 फरवरी, 2020 को जारी परिपत्र इस संबंध पूर्व में जारी परिपत्रों का अतिक्रमण कर जारी किया गया है। उन्होंने बताया कि 5 अप्रेल, 2018 को जारी परिपत्र में मात्र दो बिंदु थे, जबकि इस परिपत्र में 8-10 बिंदु शामिल किये गये हैं। उन्होंने कहा कि इसमें व्यवस्था सुनिश्चित की गई है कि जब कोई भी राजकीय कार्यक्रम आयोजित होने पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों को सूचना दी जाये। साथ यह भी सुनिश्चित करना होगा कि सूचना देने की प्राप्ति ली जाये तथा जनप्रतिनिधियों को प्रतिष्ठित स्थान पर बैठने की व्यवस्था भी की जाये।
धारीवाल ने अपने लिखित वक्तव्य में बताया कि शासन द्वारा समय-समय पर परिपत्र/आदेश जारी किये जाकर राजकीय भवनों (आंशिक अथवा पूर्णरूप से धनराशि से निर्मित भवनों) के शिलान्यास/ उद्घाटन कार्यक्रमों व अन्य राजकीय समारोह जो राजकीय धनराशि से आयोजित हो चाहे वे किसी राजकीय उपक्रम, बोर्ड, निगम या स्वायत्तशासी संस्था के हो, उनमें जनप्रतिनिधियों यथा सांसद, विधायक, जिला प्रमुख, प्रधान, नगर निकायों के मेयर/सभापति/अध्यक्ष, ग्राम पंचायत के सरपंच एवं जनप्रतिनिधियों को विशेष रूप से कार्यक्रम स्थल से संबंधित जनप्रतिनिधिगण को आवश्यक रूप से आमंत्रित किये जाने के संबंध में निर्दिष्ट किया गया है। परन्तु समय-समय पर जनप्रतिनिधियों से उक्त क्रम में प्राप्त शिकायत पत्रों से स्पष्ट होता है कि अधिकारियों द्वारा राज्य सरकार से जारी इन परिपत्रों/आदेशों की पालना में लापरवाही बरती जा रही है। जो कि अत्यंत गम्भीर विषय है। उन्होंने बताया कि उक्त क्रम में जारी परिपत्रों प. 19(16)प्रसु/अनु.-1/1995 दिनांक 14.11.1995, 23.08.1999, 23.04.2002, 30.11.2007, प 10(2) प्रसु/अनु.-1/1996 दिनांक 19.07.2001 एवं 24(1) प्रसु/अनु.-1/2015 दिनांक 09.10.2015, 05.04.2018 के अतिक्रमण कर 17 फरवरी, 2020 को परिपत्र जारी कर आवश्यक दिशा-निर्देश प्रसारित किये हैं।
उन्होंने बताया कि राजकीय भवनाें/आंशिक अथवा पूर्ण रूप से राजकीय धनराशि से निर्मित राजकीय भवनों/ सार्वजनिक भवनों के शिलान्यास/उद्घाटन कार्यक्रमों व अन्य राजकीय समारोह जो कि राजकीय धनराशि से आयोजित हों, जो कि राजकीय उपक्रम, बोर्ड , निगम या स्वायत्तशासी संस्था - पंचायत समिति ग्राम पंचायत, के हो में स्थानीय जनप्रतिनिधियों यथा सांसद, विधायक, जिला प्रमुख, प्रधान, नगर निकायों के मेयर/सभापति/अध्यक्ष, ग्राम पंचायत के सरपंच एवं जन प्रतिनिधियों, विशेषत कार्यक्रम स्थल क्षेत्र से सम्बंधित जन प्रतिनिधिगण को आवश्यक रूप से आमंत्रित किया जाये। उन्होंने बताया कि माननीय जनप्रतिनिधियों को राजकीय भवनों के शिलान्यास/उद्घाटन सार्वजनिक समारोह से संबंधित सूचनाएं तीव्रतर संचार साधनों/माध्यमों से भेजी जाए ताकि वह समय पर उन्हें मिल जाए। यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि जनप्रतिनिधि द्वारा सूचना की प्राप्ति की पुष्टि संबंधित अधिकारी द्वारा कर दी गई है। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधिगण के बैठने की समुचित व्यवस्था कि जाये एवं ध्यान रखा जाये कि समारोह में आमंत्रित किसी जनप्रतिनिधि को किसी असुविधा का सामना नहीं करना पड़े। समारोह में आमंत्रित जनप्रतिनिधिगण को ससम्मान बैठाने की व्यवस्था की जाये और सरकारी सेवकों को सांसदों/विधायकों से संपर्क के दौरान सदैव शिष्टता और सम्मान दर्शित करना चाहिए। उन्होंने बताया कि इस बात पर सावधानीपूर्वक विचार करना चाहिए कि उन्हें क्या कहना है। उन्हें धैर्यपूर्वक सुनना तथा उचित जवाब देना चाहिए।
धारीवाल ने बताया कि राजकीय भवनों के शिलान्यास/उद्घाटन/लोकार्पण आदि जनप्रतिधिनियों के द्वारा ही सम्पन्न कराये जाये। अधिकारीगण राजकीय भवनों के शिलान्यास/उद्घाटन/लोकार्पण आदि नहीं करें तथा शिलालेखों पर अपना नाम अंकित नहीं करवाये। जिन राजकीय कायोर्ं को (विकास आदि से संबंधित) क्रियान्वित नहीं किया जा सकता है, अधिकारी उनके बारे में अनावश्यक घोषणाएं नहीं करें व कोई आश्वासन भी न दे। विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत होने वाले निर्माण कार्यो/भवनों एवं बस्तियों अथवा राज्य सहायता से निर्मित विभिन्न परियोजनाओं के नाम भी अधिकारियों के नाम द्वारा संबोधित नहीं किया जाए। राज्य सरकार द्वारा आयोजित विभिन्न अभियानों, विभिन्न जनसुनवाई कार्यक्रमों व राजकीय समारोहों में अधिकारीगण साफा/माला नहीं पहने।
उन्होंने बताया कि सभी संबंधित अधिकारीगण को व्यादिष्ट किया गया है कि उक्त दिशा निर्देशों की अवहेलना को राजस्थान सिविल सेवाएं (आचरण) नियम, 1971 के प्रावधानों का उल्लंघन माना जायेगा तथा दोषी अधिकारी/कर्मचारी के विरूद्ध नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्यवाही अमल में लायी जायेगी। समस्त राजकीय विभागों/ राजकीय उपक्रमों/बोर्डों/निगमों/स्वायत्तशासी संस्थाओं आदि में पदस्थापित समस्त अधिकारीगण को निर्देशित किया जाता है कि उक्त दिशा-निर्देशों की पालना सुनिश्चित करें।